Train to Kashmir उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक के उद्घाटन के साथ जम्मू-कश्मीर में संपर्क की दिशा में एक नई उपलब्धि हासिल हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत की मजबूत इच्छाशक्ति का प्रतीक बताया है। पीर पंजाल की कठिन पहाड़ियों में इंजीनियरों ने कई मुश्किलों का सामना करते हुए इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा किया, जो देश के बुनियादी ढांचे की दिशा में एक बड़ी छलांग है।
कश्मीर तक ट्रेन लाने में लगे 45 साल
Kashmir Vande Bharat train: उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल मार्ग के उद्घाटन के साथ जम्मू-कश्मीर ने संपर्क के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है, और भारत ने एक बार फिर अपनी तकनीकी श्रेष्ठता को वैश्विक स्तर पर सिद्ध किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना को भारत की अटूट इच्छाशक्ति का भव्य उत्सव बताया और इसे देश की बढ़ती ताकत व आत्मनिर्भरता का प्रतीक करार दिया।
#InPhotos | Kashmir-bound Vande Bharat train stationed at Shri Mata Vaishno Devi shrine station in Katra, ahead of its flag-off by PM Modi on June 6. The launch marks the completion of the USBRL project, connecting the Kashmir Valley by rail.
— Hindustan Times (@htTweets) June 5, 2025
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यह भी स्पष्ट है कि पीर पंजाल की उन दुर्गम पहाड़ियों में, जिन्हें दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण भू-भागों में गिना जाता है, हमारे इंजीनियरों ने वह कर दिखाया है जो बीस साल पहले तक एक असंभव सपना माना जाता था।
कई बड़ी चुनौतियों को किया सामना
निश्चित तौर पर यह परियोजना जम्मू-कश्मीर में पर्यटन के साथ ही सामाजिक-सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देते हुए विकास की एक नई कहानी लिखेगा। इस परियोजना की राह में चुनौतियां अनगिनत थीं, पहाड़ों से रिसता पानी, कहीं चार सौ फीट की गहरी खाई और कहीं भरभरा कर ढह जाने वाले पहाड़। इन तमाम बिंदुओं के बावजूद न हमारे इंजीनियर थमे और न ही हार मानी। वह हर चुनौती के सामने अडिग डटे रहे।
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कटड़ा में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लाइन के लोकार्पण के साथ दुनिया के सबसे ऊंचे आर्च ब्रिज और देश के पहले केबल आधारित रेल ब्रिज को भी राष्ट्र को समर्पित किया। इसी ट्रैक पर देश की सबसे बड़ी तीन सुरंगें भी हैं। यूं कहें कि यहां कदम-कदम पर इतिहास लिखा गया है।
1972 में जम्मू पहुंची ट्रेन
Kashmir vande bharat train: कश्मीर में रेल संपर्क बहाल करने का सपना एक सदी से भी ज़्यादा पुराना है। 1972 में जब से रेल जम्मू पहुंची, तब से इसे कश्मीर तक पहुंचाने की कोशिशें हो रही थीं, लेकिन योजना कुछ कदम आगे बढ़ी और फिर रुक गई। सबसे बड़ी चुनौती पीर पंजाल की पहाड़ियों को पार करके आगे बढ़ना था। लेकिन आखिरकार लक्ष्य हासिल हो ही गया। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज मां वैष्णो के आशीर्वाद से कश्मीर भारत के रेल नेटवर्क से जुड़ गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के उस बयान का भी ज़िक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि जब वे सातवीं-आठवीं कक्षा में पढ़ते थे, तब से इस परियोजना के पूरा होने का इंतज़ार कर रहे थे।

उधमपुर-बारामूला रेल लिंक योजना
- 1981: जम्मू-उधमपुर रेल लिंक को मंजूरी दी गई
- 1994: श्रीनगर तक रेल लिंक के विस्तार का एलान किया गया
- 1995: उधमपुर-कटड़ा रेल लिंक पर काम शुरू हुआ
- 1999: काजीगुंड-बारामूला रेल लिंक पर काम शुरू हुआ
- 2002: कटड़ा-काजीगुंड रेल लिंक पर काम शुरू हुआ
- 13 अप्रैल, 2005: जम्मू-उधमपुर सेक्शन खोला गया
- 11 अक्टूबर, 2008: मजहोम अनंतनाग सेक्शन खोला गया
- 14 फरवरी, 2009: बारामूला मजहोम सेक्शन खोला गया
- 28 अक्टूबर 2009: अनंतनाग-काजीगुंड सेक्शन खोला गया
- 26 जून 2013: बनिहाल-काजीगुंड सेक्शन खोला गया
- 4 जुलाई 2014: उधमपुर-कटड़ा सेक्शन खोला गया
- 20 फरवरी 2024: बनिहाल खंड खोला गया
कश्मीर के लिए ट्रेन की सौगात: एक खास उपलब्धि
- देश की सबसे बड़ी तीन रेलवे टनल इस ट्रैक पर हैं
- दुनिया का सबसे ऊंचा आर्च ब्रिज यही बना है
- देश का पहला केबल स्टे रेलवे ब्रिज इसी ट्रैक पर है
- 11 KM लंबी टी-50 टनल यही पर है
- 11 KM लंबी टी-44 सुरंग देश की तीसरी सबसे बड़ी रेल सुरंग है।
- 272 KM के रेल संपर्क में 36 मुख्य सुरंगे हैं