बेंगलुरु, 14 जुलाई 2025 –आज भारतीय सिनेमा ने अपना एक बेशकीमती रत्न खो दिया। कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री की पहली महिला सुपरस्टार और पूरे देश की चहेती अदाकारा बी. सरोजा देवी का निधन हो गया है। उन्होंने 14 जुलाई 2025 को बेंगलुरु स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। यह वही तारीख है जिसे आज हर सिनेमा प्रेमी गूगल पर खोज रहा है – “Saroja Devi Passed Away 87”।
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🕯️ एक युग का अंत…
यह सिर्फ एक दुखद समाचार नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा के एक स्वर्णिम अध्याय का समापन है। बी. सरोजा देवी, जिनकी मुस्कान, सादगी और अभिनय हर दिल में बसता था, अब सिर्फ यादों में रहेंगी।
🎬 अभिनय का अद्वितीय सफर:
1955 में फिल्म “महाकवि कालिदास” से अपनी शुरुआत करने वाली सरोजा देवी ने अपने चार दशक लंबे करियर में कन्नड़, तमिल, तेलुगु, और हिंदी फिल्मों में अपार सफलता हासिल की।
⭐ उनकी यादगार फिल्में:
- कन्नड़: स्कूल मास्टर (1958), कित्तूर चेन्नम्मा (1961), अमरशिल्पी जकनचारी (1963)
- तमिल: नादोदी मन्नन (MGR के साथ), पुथिया परवई, एंगा वीतु पिल्लई, अंबे वा
- तेलुगु: सितारामा कल्याणम, जगदेका वीरुनी कथा, दागुडु मुथलु (NTR के साथ)
- हिंदी: पैगाम (दिलीप कुमार), ससुराल (राजेंद्र कुमार), बेटी बेटे (सुनील दत्त)
🏆 सम्मान जो आज भी गूंजते हैं:
- पद्मश्री (1969)
- पद्मभूषण (1992)
- लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (भारत सरकार, 2008)
💬 सिनेप्रेमियों की भावनाएं:
“उन्होंने ना सिर्फ फिल्में कीं, उन्होंने संस्कृति रची थी।”
“Saroja Devi Passed Away 87 को मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा।”
“उनकी आंखों में जो भाव होते थे, वो अब नहीं देख पाएंगे।”
🕊️ श्रद्धांजलि और विदाई:
सरोजा देवी सिर्फ फिल्मों की स्टार नहीं थीं, वो हर घर की पहचान थीं। आज जब हम उन्हें अलविदा कह रहे हैं, तो सिर्फ एक अभिनेत्री को नहीं, एक युग को विदा कर रहे हैं। उनके योगदान को कोई शब्द पूरा नहीं कर सकता।
🔚 निष्कर्ष:
“Saroja Devi Passed Away 87” यानी 14 जुलाई 2025, भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक भावुक अध्याय बन गया है। लेकिन उनकी विरासत, उनकी फिल्में और उनका सौम्य व्यक्तित्व – ये सब हमेशा जिंदा रहेंगे।
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