राजस्थान, जो अपनी शुष्क जलवायु और रेगिस्तानी मौसम के लिए जाना जाता है, इस साल अभूतपूर्व बारिश का सामना कर रहा है। 2025 का मानसून इस राज्य के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रहा। रेगिस्तान में बाढ़! राजस्थान में मानसून का कहर, औसत से 177% ज्यादा हुई बारिश, 18 डैम ओफरफ्लो जैसी स्थिति ने आमजन को गंभीर संकट में डाल दिया है।
राजस्थान में टूटा 69 साल का रिकॉर्ड
राजस्थान में इस साल जुलाई तक 177 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई। यह पिछले 69 सालों का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। सामान्यतः यहां औसत से कम बारिश होती है, लेकिन इस बार लगातार हो रही बरसात ने सूखी नदियों को भी उफान पर ला दिया है। सड़कें बह गई हैं, कई गांव शहरों से कट गए हैं और जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुका है।
2024 में भी राज्य में औसत से 156 प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी, लेकिन 2025 ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। अगस्त में भी लगातार बारिश जारी है और हालात अभी भी सामान्य होने की स्थिति में नहीं हैं।
18 बांध ओवरफ्लो, 22 जिले प्रभावित
लगातार हो रही बारिश के कारण राजस्थान के 18 बड़े डैम ओवरफ्लो हो चुके हैं। कुल 30 में से 22 जिले सीधे प्रभावित हुए हैं। जिन जिलों में बारिश का असर सबसे ज्यादा देखा गया है, वहां लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है।
रेगिस्तान में बाढ़! राजस्थान में मानसून का कहर, औसत से 177% ज्यादा हुई बारिश, 18 डैम ओफरफ्लो जैसी आपदा ने ग्रामीण इलाकों को पूरी तरह प्रभावित किया है। खेत जलमग्न हो गए हैं और कई गांव पानी में डूब गए हैं।
नदियों का जलस्तर खतरे के पार
केंद्रीय जल आयोग ने जानकारी दी है कि राज्य के कई स्टेशनों पर नदियों का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया है। सवाई माधोपुर जिले के बारांवाड़ा स्टेशन पर 24 अगस्त की सुबह चंबल नदी का जलस्तर 198 मीटर के खतरे के निशान को पार कर गया। 22 से 25 अगस्त के बीच जलस्तर में 4.02 मीटर की वृद्धि हुई, जिसके कारण 30 से अधिक गांव जलमग्न हो गए और मुख्य शहरों से कट गए।
जलवायु परिवर्तन का असर
विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) का नतीजा है। राजस्थान जैसे सूखे और शुष्क प्रदेश में इतनी अधिक बारिश होना सामान्य नहीं है। मानसून पैटर्न में यह बदलाव बताता है कि आने वाले वर्षों में मौसम और अधिक अनिश्चित हो सकता है।
आमजन पर असर
- कई जिलों में सड़कें टूट गई हैं और परिवहन व्यवस्था प्रभावित हुई है।
- गांवों में बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हुई है।
- फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
- लोग सुरक्षित स्थानों पर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।
रेगिस्तान में बाढ़! राजस्थान में मानसून का कहर, औसत से 177% ज्यादा हुई बारिश, 18 डैम ओफरफ्लो जैसी स्थिति ने दिखा दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने इंसान कितना असहाय है।
सरकार और प्रशासन की तैयारी
राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग लगातार राहत कार्य चला रहे हैं। प्रभावित गांवों में मदद पहुंचाई जा रही है। कई जगहों पर लोगों को अस्थायी शिविरों में रखा गया है। सेना और NDRF की टीमें भी बचाव कार्य में लगी हुई हैं।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, इस साल का मानसून राजस्थान के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रहा। रेगिस्तान में बाढ़! राजस्थान में मानसून का कहर, औसत से 177% ज्यादा हुई बारिश, 18 डैम ओफरफ्लो ने साबित कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन का असर अब साफ दिखने लगा है। आने वाले समय में बेहतर आपदा प्रबंधन और बुनियादी ढांचे की मजबूती ही ऐसे हालात से निपटने का रास्ता है।








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