राजस्थान से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसने पूरे सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। Rajasthan Cough Syrup Death केस में एक बच्चे की मौत हो गई, जबकि 10 से ज्यादा बच्चे और एक डॉक्टर गंभीर रूप से बीमार हो गए। सबसे बड़ा झटका ये है कि जिस कफ सिरप को पहले ही ब्लैकलिस्ट किया जा चुका था, वही दवा सरकारी अस्पतालों और मार्केट में सप्लाई होती रही। सवाल उठता है – आखिर ब्लैकलिस्टेड दवा इतनी आसानी से बच्चों तक कैसे पहुंच गई?
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Rajasthan Cough Syrup Death – एक बच्चे की मौत, कई बीमार
सीकर जिले में बच्चे की मौत के बाद हड़कंप मच गया। केवल यही नहीं, जयपुर, झुंझुनू, भरतपुर और बांसवाड़ा जिलों से भी बच्चों और एक डॉक्टर के बीमार पड़ने की खबर आई। सबने एक ही कंपनी का कफ सिरप इस्तेमाल किया था। यह सिरप जयपुर की Keshan Pharma कंपनी का था, जिसमें Dextromethorphan Hydrobromide साल्ट इस्तेमाल किया गया था।
Blacklisted Cough Syrup सरकारी अस्पतालों तक कैसे पहुंचा?
चौंकाने वाली बात यह है कि इस दवा को पहले ही ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था। फिर भी यह Rajasthan Free Medicine Scheme के तहत सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त में दी जाती रही। इसका मतलब साफ है कि सिस्टम में कहीं न कहीं गहरी लापरवाही हुई है।
Keshan Pharma Factory पर ताला, जांच से बचने की कोशिश
आजतक की पड़ताल में खुलासा हुआ कि जैसे ही यह मामला तूल पकड़ा, Keshan Pharma की फैक्ट्री पर ताला लटक गया। वहां काम करने वाले 30-40 कर्मचारी अचानक गायब हो गए। यहां तक कि कंपनी ने पुराना गार्ड हटाकर नया गार्ड तैनात कर दिया, ताकि जांच अधिकारियों को कोई जानकारी न मिल सके। पड़ोसियों का कहना है कि पिछले तीन दिन से फैक्ट्री में सन्नाटा है।
Dextromethorphan Syrup Ban के बावजूद सप्लाई जारी
दस्तावेजों से बड़ा खुलासा हुआ है कि इस कंपनी की दवा को 2023 और 2025 में ब्लैकलिस्ट किया गया था। फरवरी 2025 में इसकी सप्लाई रोकने का आदेश भी जारी हुआ, लेकिन कंपनी ने खेल करते हुए “नए फॉर्मूले” के नाम पर वही सिरप बनाना और सप्लाई करना जारी रखा।
जब मालिक वीरेंद्र कुमार गुप्ता से सवाल पूछा गया तो उन्होंने सफाई दी –
“एक सिरप ब्लैकलिस्टेड है, लेकिन डेक्स्ट्रोमेथोर्फन बैन नहीं है। हादसा डॉक्टरों द्वारा दवा का ओवरडोज देने से हुआ है।”
हालांकि, उन्होंने कैमरे पर आने से इनकार कर दिया।
Rajasthan Free Medicine Scheme में कैसे घुसी ब्लैकलिस्टेड दवा?
यहां बड़ा सवाल यह है कि Rajasthan Free Medicine Scheme जैसी सरकारी योजना में यह ब्लैकलिस्टेड दवा कैसे पहुंच गई। जांच में सामने आया कि अस्पतालों में दी जाने वाली दवाओं की जांच सरकारी लैब में नहीं, बल्कि प्राइवेट लैब्स में होती है।
आंकड़े चौंकाने वाले हैं:
- साल 2024 में 101 दवाएं जांच में फेल हुईं।
- साल 2025 में अब तक 81 दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरीं।
फिर भी ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट ने इन दवाओं की सप्लाई पर कोई रोक नहीं लगाई। यह लापरवाही सीधे-सीधे बच्चों की जान से खेलना है।
राजस्थान: सरकारी खांसी की सिरप से बच्चे की मौत मामले में सरकार का एक्शन, लिया ये फैसला@moinallahabad #Rajasthan #coughsyrup #Bharatpur https://t.co/GvlYVrO3ji
— ABP News (@ABPNews) September 30, 2025
Rajasthan Drug Scam पर सरकार का एक्शन प्लान
इस पूरे मामले के बाद राजस्थान सरकार ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। Rajasthan Medical Services Corporation (RMSC) के एमडी पुखराज सेन ने कहा:
“अब नियमों में बदलाव होगा। अगर किसी कंपनी की एक दवा ब्लैकलिस्ट होती है, तो उसकी बाकी सभी दवाओं की सप्लाई भी रोकी जाएगी।”
फिलहाल, राज्य सरकार ने Dextromethorphan Hydrobromide साल्ट वाली सभी कफ सिरप की सप्लाई पर रोक लगा दी है और एक तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन कर दिया है।
Child Death Case ने उठाए सिस्टम पर सवाल
यह मामला सिर्फ एक बच्चे की मौत तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करता है।
- अगर दवा ब्लैकलिस्ट थी तो सप्लाई कैसे हुई?
- ड्रग डिपार्टमेंट ने कार्रवाई क्यों नहीं की?
- प्राइवेट लैब्स की जांच रिपोर्ट पर भरोसा क्यों किया गया?
यह सवाल अब हर किसी के मन में हैं और सरकार को इनके जवाब देने होंगे।
Future में ऐसी दवाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठेंगे?
विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कुछ बड़े कदम उठाने होंगे:
- सरकारी अस्पतालों में दी जाने वाली हर दवा की जांच सरकारी लैब में अनिवार्य की जाए।
- एक बार ब्लैकलिस्ट होने पर कंपनी की सभी दवाओं की सप्लाई तुरंत रोकी जाए।
- जिम्मेदार अधिकारियों और कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
- दवा माफियाओं और सिस्टम की मिलीभगत खत्म करने के लिए सख्त कानून बनाए जाएं।
निष्कर्ष
Rajasthan Cough Syrup Death केस ने यह साफ कर दिया है कि बच्चों की जान से बड़ा कोई सिस्टम फेलियर नहीं हो सकता। ब्लैकलिस्टेड दवा का सरकारी अस्पतालों तक पहुंचना केवल लापरवाही नहीं, बल्कि एक बड़ा ड्रग स्कैम है।
अब देखना यह है कि जांच समिति क्या रिपोर्ट पेश करती है और क्या सरकार सच में दवा माफियाओं पर सख्त कार्रवाई कर पाएगी, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।








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