देश के शिक्षण संस्थानों में फैली संस्थागत संवेदनहीनता और दोषियों के संरक्षण का एक भयावह उदाहरण है ओडिसा की घटना । यह दर्शाता है कि जब छात्राएं न्याय की अपेक्षा में संस्थान का द्वार खटखटाती हैं, तो उन्हें ही कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है।
ओडिशा के बालासोर स्थित फकीर मोहन ऑटोनॉमस कॉलेज की छात्रा Soumyashree Bishi की आत्मदाह से हुई दर्दनाक मृत्यु ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना शिक्षा परिसरों में यौन उत्पीड़न और संस्थागत संवेदनहीनता का एक भयावह उदाहरण है, जिसने न्याय की माँग को तीव्र कर दिया है।
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क्या है पूरा मामला? का Soumyashree Bishi
Soumyashree Bishi, जो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की एक सक्रिय कार्यकर्ता भी थीं, कॉलेज के शिक्षा विभागाध्यक्ष समीर साहू द्वारा मानसिक और यौन उत्पीड़न से प्रताड़ित थीं। उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए कॉलेज के प्राचार्य को लिखित शिकायत भी दी थी। दुखद बात यह है कि संस्थान ने दोषी शिक्षक के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने की बजाय, आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की आड़ में पीड़िता को ही दोषी ठहराने की कोशिश की।
जब एक छात्रा ने ABVP से मदद की गुहार लगाई और फिर भी अकेले जल कर मर गई — तो सोचिए, बाकी छात्राओं की आवाज़ कौन सुनेगा?
— NSUI (@nsui) July 16, 2025
ABVP आज सत्ता के साथ है, छात्रों के नहीं।
ये लड़ाई अब सिर्फ़ इंसाफ़ की नहीं, भरोसे के टूटने की भी है।#JusticeForSoumyashree pic.twitter.com/MBkwXOGOBx
AIIMS भुवनेश्वर में हुई सौम्याश्री की मृत्यु
NSUI से जुड़े कुछ छात्रों ने भी उनके विरुद्ध झूठे आरोप लगाए और चरित्र हनन किया। जब प्राचार्य ने 12 जुलाई को Soumyashree Bishi को यह कहकर निराश किया कि रिपोर्ट शिक्षक के पक्ष में है, समझौता कर लो तो उन्होंने कॉलेज परिसर में आत्मदाह कर लिया, और 14 जुलाई की रात AIIMS भुवनेश्वर में उनकी मृत्यु हो गई।
कॉलेज प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इस मामले में कॉलेज प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अगर समय रहते Soumyashree Bishi की शिकायत पर ध्यान दिया गया होता और उचित कार्रवाई की गई होती, तो शायद यह दुखद घटना टाली जा सकती थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, सौम्याश्री ने कॉलेज के प्राचार्य, उच्च शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री कार्यालय और यहां तक कि एक केंद्रीय मंत्री से भी न्याय की गुहार लगाई थी, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। कॉलेज के प्राचार्य दिलीप घोष को कथित तौर पर मामले को दबाने और पुलिस को सूचित न करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
देशव्यापी विरोध प्रदर्शन और न्याय की मांग
Soumyashree Bishi की मौत के बाद देशभर में विद्यार्थी परिषद सहित विभिन्न छात्र संगठनों और महिला समूहों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। श्रद्धांजलि सभाएं, मोमबत्ती मार्च, हस्ताक्षर अभियान और धरना-प्रदर्शनों के माध्यम से सौम्याश्री को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ी जा रही है। इन प्रदर्शनों का मुख्य उद्देश्य शिक्षा परिसरों में यौन हिंसा, शोषण या प्रताड़ना को किसी भी हाल में बर्दाश्त न करने का संदेश देना है।
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने सौम्याश्री की मृत्यु पर दुख व्यक्त किया है और उनके परिजनों को 20 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। वहीं, ओडिशा के राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति ने राज्य सरकार से इस घटना पर रिपोर्ट मांगी है।
सौम्याश्री की कहानी एक ऐसी भयावह सच्चाई को सामने लाती है जहाँ छात्रों को अपने ही शिक्षण संस्थानों में सुरक्षित महसूस करने का अधिकार नहीं है। जिसे शिक्षा के नाम पर उत्पीड़न और अन्याय का सामना करना पड़ता है। यह समय है कि जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों।
क्या आपको लगता है कि शिक्षण संस्थानों में छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और कड़े कानून और व्यवस्था की आवश्यकता है?