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What is zero budget natural farming शून्य बजट प्राकृतिक खेती क्या है?

What is zero budget natural farming

परिचय (Introduction)

शून्य बजट प्राकृतिक खेती (zero budget natural farming) का मतलब है ऐसी खेती करना जिसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक या बाहरी सामग्री का उपयोग न किया जाए। “शून्य बजट” का अर्थ है – खेती की लागत शून्य हो यानी बिना किसी खर्च के फसल उत्पादन। यह खेती किसानों को टिकाऊ और प्राकृतिक तरीकों की ओर मार्गदर्शन करती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है, रासायन-मुक्त कृषि सुनिश्चित होती है और उत्पादन लागत न के बराबर होती है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होती है।

साधारण शब्दों में कहें तो (zero budget natural farming) एक ऐसा खेती का तरीका है जो प्रकृति के अनुरूप फसल उगाने में विश्वास रखता है।

What is zero budget natural farming
What is zero budget natural farming

इस विचार को पद्मश्री से सम्मानित प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक श्री सुभाष पालेकर ने 1990 के दशक के मध्य में बढ़ावा दिया। उन्होंने इसे हरित क्रांति के उस मॉडल का विकल्प बताया जो रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और अधिक सिंचाई पर आधारित था।

सरकार भी इस दिशा में प्रयास कर रही है और परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के माध्यम से जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है। इस योजना के अंतर्गत सभी प्रकार की रासायन-मुक्त खेती को बढ़ावा दिया जाता है, जिसमें शून्य बजट प्राकृतिक खेती भी शामिल है।

16 दिसंबर 2021 को प्राकृतिक खेती पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में किसानों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “हमें कृषि के इस प्राचीन ज्ञान को फिर से सीखना होगा और उसे आधुनिक समय के अनुसार उन्नत करना होगा। इस दिशा में हमें नए सिरे से अनुसंधान करना है और पुराने ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के ढांचे में ढालना है।” प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि प्राकृतिक खेती से देश के लगभग 80% छोटे किसान सबसे अधिक लाभान्वित होंगे। उन्होंने हर राज्य और राज्य सरकार से आग्रह किया कि प्राकृतिक खेती को एक जन आंदोलन (जन आंदोलन) बनाने के लिए आगे आएं। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर यह प्रयास होना चाहिए कि हर पंचायत के कम से कम एक गांव को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाए।

What is zero budget natural farming

ज़रूरत (Need)

राष्ट्रीय सैंपल सर्वे कार्यालय (NSSO) के आंकड़ों के अनुसार, 50 प्रतिशत से अधिक किसान कर्ज में डूबे हुए हैं, जिसका प्रमुख कारण है—खाद और रासायनिक कीटनाशकों जैसे कृषि इनपुट्स की बढ़ती लागत।

किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए, खेती में होने वाले खर्च को कम करना होगा और शून्य बजट प्राकृतिक खेती (zero budget natural farming) जैसी पद्धतियों को अपनाना होगा ताकि किसानों की रासायनिक उर्वरकों और बाहरी संसाधनों पर निर्भरता घटे।

शून्य बजट खेती मॉडल खेती की लागत को काफी हद तक घटाता है और कृषि ऋण पर निर्भरता समाप्त करता है। यह मॉडल किसानों को अपने बीजों और स्थानीय जैविक संसाधनों के उपयोग के लिए प्रेरित करता है, जिससे प्रकृति के साथ तालमेल बैठाकर खेती होती है।

शून्य बजट प्राकृतिक खेती के सिद्धांत

फायदे (Benefits)

जिंदगी चक्र आकलन अध्ययन – ZBNF बनाम Non-ZBNF (आंध्र प्रदेश)” में निम्नलिखित लाभ पाए गए

Zero budget natural farming विधि में 50-60% कम पानी और बिजली की आवश्यकता होती है।

यह मीथेन उत्सर्जन को काफी कम करता है, और मल्चिंग द्वारा फसल अवशेष जलाने की ज़रूरत नहीं होती।

ZBNF में खेती की लागत काफी कम होती है।

ZBNF के चार मुख्य घटक एवं मॉडल

1. बीजामृत:
देशी गाय के गोबर और गौमूत्र से बीजों को उपचारित किया जाता है।

लाभ: बीज फफूंद व अन्य बीज/मिट्टी जनित रोगों से सुरक्षित रहते हैं।

2. जीवामृत:
गाय के गोबर, मूत्र, गुड़, दाल के आटे और शुद्ध मिट्टी से बना किण्वित मिश्रण है जो मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की सक्रियता बढ़ाता है।

लाभ: मिट्टी में जैविक क्रिया को बढ़ाता है, पोषण क्षमता में सुधार करता है और कार्बन की मात्रा बढ़ाता है।

3. आच्छादन (मल्चिंग):
मिट्टी की ऊपरी सतह को फसल अवशेष या ढकने वाली फसलों से ढंका जाता है।

लाभ: मिट्टी की नमी बनाए रखता है, खरपतवार को रोकता है और जैविक पोषण में सुधार करता है।

4. वाफसा (मृदा वातन):
मिट्टी में पर्याप्त वायु संचार आवश्यक होता है।

लाभ: सूक्ष्मजीवों की वृद्धि, जल धारण क्षमता और सूखे में भी फसल वृद्धि में सहायता करता है।

Zero budget natural farming फसल मॉडल

इस मॉडल में लघु अवधि व दीर्घ अवधि वाली फसलें एक साथ उगाई जाती हैं। इससे मुख्य फसल की लागत, लघु फसलों की आय से निकल जाती है। यही कारण है कि इसे “शून्य बजट खेती” कहा जाता है।

Zero budget natural farming पर पायलट अध्ययन

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने रबी 2017 से उत्तर भारत के चार स्थानों – मोदीपुरम (उ.प्र.), पंतनगर (उत्तराखंड), लुधियाना (पंजाब), कुरुक्षेत्र (हरियाणा) – में बासमती/धान-गेहूं प्रणाली में zero budget natural farming पद्धति का मूल्यांकन शुरू किया।

राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (NAAS) ने अगस्त 2019 में इस पर एक उच्चस्तरीय चर्चा सत्र भी आयोजित किया।

zero budget natural farming को अपनाने वाले राज्य

केंद्र सरकार की योजनाएं

आगे का रास्ता (Way Forward)

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